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ज़रा सोचीये

I Want To Say S'thing
I Want To Say S'thing
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मैं आप लोगों से यह पूछना चाहता हूँ की बड़े लोग क्या कभी छोटे नहीं थे . क्योंकि मैं बहुत सारी जगह यह देखता हूँ की बड़े बच्चों को बहुत सारी बातों के लिए डांटते हैं मना करते हैं और फिर खुद हीं उस बात को दोहराते हैं .मेरे हीं घर के बड़े बुजुर्गों को ले लेलीजीये वह मुझे बहुत सारी बातों के लिए डांटते हैं और फिर उन्ही बातो कों भूलकर उसे दोहराने लगते हैं .मैं इसे बच्चों के खिलाफ अन्याय मानता हूँ .मैं यह मानता हूँ की बड़ें बच्चों को सिर्फ उन्ही बातों के लिए मन करें जो की वह स्वयं भी न करते हों.
आप लोगों ने वो कहानी तो सुनी होगी की “एक औरत अपने बच्चे की गुड़ खाने की आदत से बहुत परेशान थी इसलिये वो संत के पास गयी ताकी वह उसके बच्चे की इस ख़राब आदत से उसको मुक्त करा सकें जब वो उनके पास पहुंची और उसने उन्हें सारी बात बताई तब उस संत ने उससे कहा की तुम दस दिन बाद आना तब मैं इस परेशानी का हल निकालूँगा,फिर वो औरत लौट गयी और फिर जब वह दान बाद वापस आई तो उस संत ने उसके बच्चे को गोदी में उठाया और उसे यह समझाया की बेटा ज्यादा मीठा खाने से दात सड़ जाते हैं इसलिए अबसे ज्यादा गुड़ मत खाना यह कहकर उन्होंने उसे उसकी माँ को दे दिया.फिर उस औरत ने उनसे पुच्छा की अगर उनको यही बात बतानी थी तो उन्होंने दस दिन पहले क्यूँ नहीं बताई तब वह संत हँसे और बोले की दस दिन पहले वो भी बहुत गुड़ खाते थे इसलिये वह किसी को गुड़ खाने से माना नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने उस बच्चे को कुछ नहीं बताया “.

हम एक दुसरे से नहीं पर हमारे महान पुरुषों से तो कुछ सीख सकते हैं …………………..इसलिए मैं आप लोगों से आग्रह करता हूँ की मुझे आप सब अपनी अपनी विचार धाराय प्रकट कीजीये और मुझे मुझे यह बताईये की मैंने जॊ भी लिखा है वो सब सही है की नहीं …………………………………………………………….धन्यवाद.

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