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ज़िन्दगी की चुनौती

I Want To Say S'thing
I Want To Say S'thing
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हर बच्चा अपनी लाइफ में कुछ न कुछ बनना चाहता है .उसकी अपनी कुछ इच्छा होती है और इसके लिए उसे बहुत सारी प्रतियोगी परीक्षाएं पास करनी पड़ती है.लेकिन स्कूलों में जो पढाई होती है वो इस तरह नहीं होती कि कोई बच्चा सिर्फ उसे पढ़ कर प्रतियोगिता पास कर सके, हर बच्चे को कोचिंग क्लासेज ज्वाइन करनी पड़ती हैं,और मैंने हर स्कूलों में यह भी देखा है कि हर बच्चे का स्कूल का काम पूरा हो या न हो उसकी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड ज़रूर होना चाहिए,और अगर उसका इन सब कामों में मन नहीं लगता तब भी उनके दोस्त उसे चिढ़ा चिढ़ा कर उन्हें इस ओर खीच लातें हैं,और टीचर्स भी उन्हें इस बात के लिए नहीं डांटते हैं बल्कि वो खुद बच्चों का मज़ा लेतें हैं.इतने महंगे महंगे स्कूल्स में जाने का कोई फायदा नहीं क्योंकिं हमें कोचिंग तो ज्वाइन हीं करना पड़ेगा.कुछ स्कूल ऐसे भी होतें हैं जो अपने स्कूल को सबसे अच्छा बनाने के लिए पूरी मेहनत करते हैं पर जैसे हीं स्कूल की लोकप्रियता बदने लगती है वैसे ही वें पैसा कमाने के चक्कर में लग जातें हैं. और अपने स्कूल के स्तर को गिरा देतें हैं.

जब स्कूलों में इस तरह पढाई होती ही नहीं की हम कोई प्रतियोगिता जीत सकें तो फिर स्कूल का क्या महत्व.लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होतें हैं जो बिना कोचिंग किये हीं अपने बल पे अपने ज्ञान को बढ़ा लेते हैं और अपने जीवन में सफल हो जातें हैं.हमें यह भी सुनने में आता है कि ज्यादातर बड़े बड़े ऑफिसर्स गरीब परिवार के होतें हैं इससे ये भी साबित होता है कि जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में पढ़ेगा उसे ज्यादातर सफलता मिलेगी पर इसके लिए भी उसे ध्यान लगा कर पढ़ना पड़ेगा.
इस देश में सबसे बड़ी परेशानी है आरक्षण इसकी वजह से देश तरक्की नहीं कर पा रहा है,क्योंकि विद्यार्थी कम मार्क्स ले कर पास हो जाते हैं और सेलेक्ट हो जाते हैं और जिन लोगों पर आरक्षण लागू नहीं होता वो कड़ी मेहनत करके भी नहीं सेलेक्ट हो पाते हैं और यह तो सब जानते हैं कि कम मार्क्स से पास हुए बच्चे देश की तरक्की कैसे कर सकते हैं. वह देश को कैसे चला पाएंगे.

हर बच्चे का हर विषय में मन लगना जरुरी नहीं पर फिर भी कुछ लोग अपने बच्चों को ऐसे विषय में ढकेल देते हैं जिसमे उनका मन नहीं लगता और इस वजह से उनके उस विषय में कम मार्क्स आने लगते हैं और इसके साथ ही साथ जो विषय उनका प्रिय होता है उसमे भी वह कमजोर हो जाते हैं.इसलिए बच्चों को वही विषय पढने देना चाहिए जिसमे उसका मन लगे …….वैसे ये मेरी सोच है यह ज़रूरी नहीं कि सब इस बात से सहमत हों, सबको अपनी अपनी सोच रखने का अधिकार है……………….मेरी इस बात को पढने का शुक्रिया…………………………आपका बहुत बहुत धन्यवाद…………..

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